प्रस्तावित संपत्ति कर (चुकाया आयकर और अन्य क्रेडिट घटाकर) कानून ड्राफ्ट

[टिप्पणी: यह कानूनी ड्राफ्ट लोकसभा में धन विधेयक के रूप में पारित किया जा सकता है और इसे राज्यसभा की अनुमति की जरुरत नहीं है ।

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इस ड्राफ्ट के तीन भाग है -

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भाग-1: नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश

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भाग-2: ड्राफ्ट का सारांश

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भाग- 3: अधिकारीयों और नागरिकों के लिए अन्य निर्देश और टिप्पणियाँ

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महत्वपूर्ण खंड है- (3), (4.1), (5.1), (6.1), (6.3) और (6.4) । इस कानून के लागू होने के 3 वर्ष के बाद खंड (7) का महत्त्व समाप्त हो जायेगा । ]

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भाग-1: नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश

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(1) संपत्ति के सामानों की सूची बनाना

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(1.1) इस कानून के पारित होने के बाद, प्रत्येक व्यक्ति को उसके स्वामित्व के सभी प्रमुख संपत्ति सामानों जैसे, भू-खंड(प्लाट), फ्लैट(भवन),सोना/चाँदी की ईटें, अन्य महँगे धातुओं की ईटें, महँगे पत्थर, आभूषण, शेयर्स, बांड्स, मशीनरी, और बड़े फर्नीचर सामान (सिवाय रु. 4 लाख का फर्नीचर प्रति परिवार सदस्य जैसा बाद में विवरण दिया है), इत्यादि की एक सूची बनाना जरुरी होगा । सूची में उसके बैंक में और सरकारी बांड्स में जमा धनराशि का होना जरुरी नहीं है ।

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(1.2) पिछले 7 वर्षों में खरीदी गयी जमीन और प्लोटों के लिए, मालिक को उसका पता और (अपनी श्रेष्ठतम जानकारी और स्मृति के आधार पर),खरीदने की दिनांक और कीमत जिस पर उसने ख़रीदा था और पिछले 7 वर्षों में उसने मूल्यांकन किया है (उदहारण- यदि उसने अमुक फ्लैट पर निर्माण आदि किया है) साथ में मूल्यांकन की दिनांक, इत्यादि बताना जरुरी होगा । 7 वर्षों से पूर्व ख़रीदे गए प्लोटों और फ्लैटो के लिए, उसे सिर्फ खरीदने की दिनांक, पता और क्षेत्रफल बताना जरुरी है । और यदि उसके पास एक से अधिक फ्लैट या प्लाट है, तब उसे इनमें से प्रत्येक के लिए जमीन और निर्माण का सर्किल रेट प्राप्त करना और बताना होगा ।

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(2) यदि कोई सामग्री उसके लिए दी गयी सामान्य छूट से अधिक कीमत की है, तब प्रॉपर्टी मालिक को एक संपत्ति कर रिटर्न भरना होगा जिसमे सामग्री सूची, उनकी कीमत, संपत्ति कर क्रेडिट और बकाया संपत्ति कर दर्शाया गया हो और उसे बाद में दिए गए खंडों के अनुसार संपत्ति कर चुकाना पड़ सकता है । यदि प्रत्येक सामान छूट की सीमा से कम कीमत का है, तब संपत्ति कर रिटर्न भरना वैकल्पिक होगा ।

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भाग-2: ड्राफ्ट का सारांश

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(3) टिप्पणी:

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(3.0) ये सारांश बाध्यकारी नहीं है । ये मात्र एक घोषणा है जो अनुमानित द्रष्टि देती है कि यह कानून क्या है ।

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(3.0.1) इस कानून के अनुसार, लगभग 25 वर्ग मीटर की गैर कृषि भूमि, 50 वर्ग मीटर का निर्माण, 2 एकड़ की कृषि भूमि प्रति व्यक्ति और 4 से 6 गुना इस संख्या का प्रति परिवार संपत्ति कर के दायरे से बाहर होगा । इसके साथ में, 100 ग्राम सोना प्रति पुरुष और 500 ग्राम सोना प्रति महिला की छूट होगी ।

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(3.0.2) साथ में, जितना भी-- (a) एक व्यक्ति द्वारा गैर-वेतन आय पर चुकाया आयकर, (b) अपनी वेतन आय पर चुकाये आयकर का 50%, कर्मचारियों द्वारा उनकी वेतन आय पर चुकाए आयकर का 50% या कर्मचारियों को चुकायी वेतन का 5%, (c) स्टाफ को चुकाए प्रोविडेंट फण्ड का 15%, (d) बिजली कर, ईधन कर, वस्तु एवं सेवा कर आदि चुकाया कर-- संपत्ति कर क्रेडिट होगा । और इसके साथ में, एक दान करने वाली ट्रस्ट या व्यक्ति, उसके द्वारा सेवा पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए 500 रु. प्रति वर्ष के संपत्ति कर बचत का दावा कर सकते है । ये सभी संपत्ति कर क्रेडिट में आएंगे ।

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(3.0.3) अब छूट के ऊपर जितना भी मूल्य संपत्ति का होगा, (संपत्ति मूल्य से संपत्ति कर क्रेडिट का 1% घटाकर ) केंद्र सरकार को देय राशि होगी । और यदि ये राशी नेगटिव (ऋणात्मक) है, तब यह अगले वर्ष के लिए क्रेडिट बन जायेगा ।

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(3.0.4) इसलिए ये ध्यान रखना बहुत महत्त्वपूर्ण है- कि इस क़ानून के अनुसार संपत्ति कर संपत्ति मूल्य का 1% नहीं है लेकिन ये [(संपत्ति-अनेक छूट) मूल्य का 1% - चुकाया आयकर -चुकायी वेतनों का 5% - अनेक अन्य क्रेडिट ] है । और चुकाया जाने वाला शुद्ध संपत्ति कर शून्य होगा यदि ऊपर दिया जोड़ नेगेटिव है अर्थात (संपत्ति-अनेक छूट) मूल्य के 1% से अधिक क्रेडिट्स होते हैं ।

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(3.1) उदहारण-1:

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(3.1.a) मान लीजिये एक व्यक्ति के परिवार में उसे मिलाकर उसकी पत्नी, 2 संताने और 2 वरिष्ठ नागरिक माता-पिता है । तब 150 वर्ग मीटर की शहरी भूमि और 300 वर्ग मीटर का निर्माण की छूट होगी ।

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(3.1.b) अमुक निर्माण या भूमि एक घर या अनेको घर, दुकानों या ऑफिसों में बिखरा हो सकता है ।

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(3.1.c) मान लीजिये, उसके पास 150 वर्ग मीटर भूमि और 300 वर्ग मीटर निर्माण वाले फ्लैट हैं, और मान लीजिये उसके पास इस छूट सीमा के ऊपर और इससे अधिक का एक ऑफिस जिसकी कीमत रु. 1 करोड़ है ।

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(3.1.d) मान लीजिये 5 कर्मचारियों वाले स्टाफ को उसके द्वारा चुकायी गयी वेतन रु. 12 लाख प्रति वर्ष है । मान लो, उसने स्टाफ को रु.1 लाख का प्रोविडेंट फण्ड चुकाया है । मान लो, बिजली बिल रु. 3 लाख प्रति वर्ष था और उस वर्ष में चुकाया कर रु. 1 लाख था और मान लो, उसकी आय पर आयकर रु. 3 लाख था ।

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(3.1.e) इसलिए कुल संपत्ति कर क्रेडिट (चुकाया आयकर+ प्रोविडेंट फण्ड का 15% + चुकायी वेतन का 5% + बिजली कर ) = (रु. 3,00,000 + 15%रु. 1,00,000 + 5% रु. 12,00,000 + रु.1,00,000) = ( रु. 3,00,000 + रु. 15,000 + रु. 60,000 + रु. 1,00,000) = रु. 4,75,000 होगा । इसलिए चुकाया जाने वाला संपत्ति कर शून्य होगा और अगले वर्ष के लिए क्रेडिट रु. 4,75,000 होगा ।

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(3.2) उदहारण-2:

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(3.2.a) मान लीजिये, एक ट्रस्ट के पास मुंबई में 4000 एकड़ की जमीन है जिसका सर्किल रेट रु. 2,00,000 प्रति वर्ग मीटर है । तब उस जमीन की कीमत रु. 320,000 करोड़ होगी और बकाया संपत्ति कर इसका राशि का 1% यानि रु. 3200 करोड़ क्रेडिट से पहले होगा ।

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(3.2.b) अब यदि अमुक ट्रस्ट के पास कर्मचारियों की वेतन मामूली है, ज्यादा कोई गतिविधियाँ नहीं है और ज्यादा चुकाया आयकर भी नही है, तब उसके संपत्ति कर क्रेडिट्स लगभग शून्य हो सकते हैं ।

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(3.2.c) इसलिए इस स्थिति में देय संपत्ति कर रु. 3200 करोड़ या इसके समान होगा ।

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(3.3) उदहारण-3:

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(3.3.a) मान लीजिये, एक व्यक्ति के पास 200 वर्ग मीटर की भूमि है जिस पर उसके 4 फ्लैट प्रत्येक 100 वर्ग मीटर का, कुल 400 वर्ग मीटर है । मान लीजिये हर एक फ्लैट की कीमत रु. 50 लाख है ।

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(3.3.b) मान लीजिये, उसके परिवार में 4 सदस्य है और प्रति सदस्य 25 वर्ग मीटर की भूमि और 50 वर्ग मीटर का निर्माण की छूट है । तो कुल छूट 100 वर्ग मीटर भूमि और 200 वर्ग मीटर निर्माण की होगी ।

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(3.3.c) इसलिए 2 फ्लैटो को संपत्ति कर का सामना नहीं करना होगा और शेष 2 फ्लैटो को हर एक के लिए रु. 50000 संपत्ति कर का सामना करना होगा । फ्लैट स्वामित्व के कारण कुल संपत्ति कर = (रु. 1,00,000 में से नीचे वर्णित क्रेडिट्स घटाकर)

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(3.3.d) मान लीजिये उसने 3 फ्लैट किराये पर दे रखे है और प्रत्येक फ्लैट का किराया रु.1,20,000 प्रति वर्ष है । कुल किराया आय= रु. 3,60,000 प्रति वर्ष । ऐसी किराया आय पर आयकर लगभग रु. 40000 प्रति वर्ष का बनेगा, जिसमे माना गया है कि मकान-मालिक के पास अन्य आय है जो उसे 20% आयकर के दायरे में लाती है ।

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(3.3.e) मान लीजिये प्रत्येक किरायेदार रु. 40000 प्रति वर्ष की बिजली खपत कर रहा है और वह उस पर रु. 10000 प्रति वर्ष का बिजली-कर चुका रहा है ।

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(3.3.f) इसलिए कुल देय प्रभावशाली संपत्ति कर उन सभी तीन फ्लैट पर होगा= रु. 100,000- रु. 40000- रु. 10000*3= रु. 30000, जो कि उसके कुल किराया आमदनी के ऊपर चुकाए आयकर का लगभग 8% है ।

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(3.3.g) लेकिन यदि मान लीजिये, उसके सभी फ्लैट खाली है, तब उसे अपने दो फ्लैटो के लिए रु. 50000 प्रति फ्लैट अर्थात कुल रु. 1,00,000 का संपत्ति कर भरना पड़ेगा ।

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(3.3.h) अब यदि उस फ्लैट मालिक की अन्य आय है जिसका वह आयकर भी चूका रहा है, तब वह आयकर भी इस संपत्ति कर में से घटा दिया जायेगा और इस प्रकार निर्णायक संपत्ति कर शून्य हो जायेगा ।

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(3.4) उदहारण-4:

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(3.4.a) मान लीजिये एक व्यक्ति के पास 1000 वर्ग मीटर की भूमि है जिस पर उसके 20 फ्लैट प्रत्येक 100 वर्ग मीटर, कुल योग = 2000 वर्ग मीटर है । मान लीजिये, प्रत्येक फ्लैट की कीमत रु. 50 लाख है ।

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(3.4.b) मान लीजिये, उसके परिवार में 4 सदस्य है और प्रति सदस्य 25 वर्ग मीटर की भूमि और 50 वर्ग मीटर का निर्माण की छूट है । तो कुल छूट 100 वर्ग मीटर भूमि और 200 वर्ग मीटर निर्माण की होगी ।

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(3.4.c) इसलिए दो फ्लैटो को संपत्ति कर का सामना नहीं करना होगा और शेष 18 फ्लैट प्रत्येक के लिए रु. 50000 संपत्ति कर का सामना करना होगा ।

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(3.4.d) मान लीजिये उसने इन फ्लैटो को किराये पर दे रखा है और प्रत्येक फ्लैट का किराया रु.1,50,000 प्रति वर्ष है । कुल किराया आय= रु. 3,60,000 प्रति वर्ष । ऐसी किराया आय पर आयकर लगभग रु. 30000 प्रति वर्ष का बनेगा, जिसमे माना गया है कि उसकी सारी आय 30% आयकर के दायरे में आती है ।

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(3.4.e) मान लीजिये हर एक किरायेदार रु. 40000 प्रति वर्ष की बिजली खपत कर रहा है और बिजली पर मान लो, कर रु. 10000 प्रति वर्ष है ।

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(3.4.f) तब प्रति फ्लैट, रु. 30000 + रु.10000= रु.40000 संपत्ति कर से घटा दिया जायेगा और मालिक द्वारा चुकाया जाने वाला प्रभावशाली संपत्ति कर प्रति फ्लैट रु.10000 मात्र होगा जो कि किराये से ऊपर उसके चुकाए आयकर का लगभग 7% होगा ।

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(3.4.g) लेकिन यदि उसने अपने सभी फ्लैट किराये से नहीं दिये है और खाली रखे है, तब रु. 50000 प्रति फ्लैट का संपत्ति कर लागू होगा ।

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(3.5) इसलिए इन उदहारण से एक संभावित निष्कर्ष निकाला जा सकता है : सामान्य शब्दों में, जो व्यक्ति भूमि और निर्माण का उपयोग किराये के लिए और व्यावसायिक या औद्योगिक कार्य के लिए कर रहे हैं, तो इस कानून के अनुसार, संपत्ति कर क्रेडिट्स के कारण, उन्हें ज्यादा संपत्ति कर नहीं चुकाना होगा । लेकिन जिन व्यक्तियों के पास भूमि और निर्माण एक बड़ी संख्या में गैर उपयोगी पड़ा है और उस पर ज्यादा व्यवसाय या औद्योगिक या किराये का कार्य नहीं हो रहा है, उन्हें एक बड़ी राशि का संपत्ति कर चुकाना पड़ सकता है ।

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भाग- 3: अधिकारीयों और नागरिकों के लिए निर्देश और टिप्पणियाँ

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(4) संपत्ति कर से सामान्य छूट-

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(4.0) एक व्यक्ति पर संपत्ति कर शून्य हो जायेगा जब स्वयं उसकी और उसके परिवार की मालिकाना संपत्ति के सामान एक निश्चित सीमा से कम होंगे । नीचे दिए गए खंड सामान्य छूट की सीमा बताएँगे ।

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(4.0.1) 60 वर्ष से ऊपर व्यक्तियों के लिए छूट नीचे सूचित सामान्य छूट से दोगुनी होगी । और 80 वर्ष से ऊपर वालों के लिए ये छूट सामान्य छूट से 4 गुना होगी ।

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(4.0.2) अनुपयोगी छूट का सम्पूर्ण या कुछ भाग किसी भी परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है और निश्चित शर्ते लागू होगी ।

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(4.1) सामान्य छूट प्रति व्यक्ति निम्नलिखित है :

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(4.1.1) LNA: A1 शहरों में और A शहरों में (CCA वर्गीकरण ) 25 वर्ग मीटर प्रति व्यक्ति का गैर कृषि प्लाट या अन्य शहरों में 50 वर्ग मीटर लेकिन दोनों नहीं, की छूट होगी और अनुपयोगी छूट को एक या एक से अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है ।

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(4.1.2) C: A1 शहरों में और A शहरों में (CCA वर्गीकरण ) 50 वर्ग मीटर प्रति व्यक्ति का गैर कृषि प्लाट या अन्य शहरों में 100 वर्ग मीटर लेकिन दोनों नहीं, की छूट इस संपत्ति कर में होगी और अनुपयोगी छूट को एक या एक से अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है ।

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(4.1.3)LA: संपत्ति कर से प्रति परिवार सदस्य 2 एकड़ से नीचे कृषि भूमि की छूट होगी और अनुपयोगी छूट को एक या एक से अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है ।

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(4.1.4)G : सोना/ चाँदी/ हीरे/ बेशकीमती पत्थर/ प्रति पुरुष 100 ग्राम सोना या इसके बराबर और प्रति महिला 500 ग्राम सोना या इसके बराबर से कम कीमत के आभूषण को छूट होगी और अनुपयोगी छूट को एक या एक से अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है ।

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(4.1.5) B : बैंक में जमा धन राशी जैसे बचत खाते में, चालू खाते में, एफडी आदि को संपत्ति कर से छूट होगी ; सरकारी बांड्स को भी संपत्ति कर से छूट होगी ।

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(4.2) अन्य सामान्य छूटे निम्नलिखित है :

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(4.2.1) V : प्रति व्यक्ति रु. 5 लाख से कम कीमत के वाहन; अनुपयोगी छूट को एक या एक से अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है ।

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(4.2.2) H: प्रति व्यक्ति रु.1 लाख से कम नकदी और साथ में पिछले वर्ष में भरा गया 10% आयकर को छूट होगी; और अनुपयोगी छूट को एक या अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है ।

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(4.2.3) F: प्रति परिवार सदस्य रु. 4 लाख से कम कीमत का फर्नीचर, घरेलू सामग्री, निजी बिजली सामग्री, कंप्यूटर को मिलकर घरेलू और निजी इलेक्ट्रॉनिक सामग्री की छूट होगी; अनुपयोगी छूट को एक या एक से अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित किया जा सकता है; मालिक संपत्ति कर कम रखने के लिए कीमत में गिरावट का दावा कर सकता है ।

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(4.2.4) M: औद्योगिक मशीनरी : कोई छूट नहीं, लेकिन मालिक संपत्ति कर कम रखने के लिए कीमत में गिरावट का दावा कर सकता है ।

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(4.2.5) AF : महंगी कला सामग्री जैसे मूर्तियाँ और पेंटिंग्स के लिए प्रति परिवार सदस्य रु. 4 लाख तक की छूट होगी और ये हंस्तान्तरित हो सकेगी ।

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(4.2.6) शेयर्स, बांड्स और डिबेंचर्स (ऋणपत्र) पर छूट

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(4.2.6.1) SX: सहभागिता और मर्यादित कंपनियों द्वारा जारी किये शेयर्स/ बांड्स/ डिबेंचर्स आदि संपत्ति कर से बाहर होंगे; सार्वजानिक कंपनियों द्वारा जारी शेयर्स/ बांड्स/ डिबेंचर्स जिसमे कंपनिया उनके शेयर्स/ बांड्स/ डिबेंचर्स पर संपत्ति कर चूका रही है, शेयर धारकों को उन पर संपत्ति कर नहीं चुकाना होगा ।

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(4.2.6.2) SY: सार्वजानिक कंपनियों में शेयर्स/ बांड्स/ डिबेंचर्स जिन पर कंपनिया संपत्ति कर नहीं चूका रही है, शेयर धारकों को उन पर संपत्ति कर चुकाना होगा; प्रति व्यक्ति छूट रु. 10 लाख होगी और ये छूट हस्तांतरित नहीं होगी ।

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(4.2.7) FW: भारत के बाहर संपत्ति- (a) भारतीय नागरिकों, भारतीय कंपनियों और ट्रस्टों द्वारा जो विदेश में निवास और कार्य कर रहे हैं, द्वारा अधिकृत संपत्ति, जिसे उन्होंने अपनी विदेशी आय से प्राप्त किया है, भारत में करयुक्त नहीं होगी (b) भारत में कमाई आय से विदेशों में प्राप्त संपत्ति भारत में करयुक्त होगी और इस पर कोई छूट नहीं होगी; वहां चुकाया गया संपत्ति कर यहाँ कितना घटेगा, ये निर्भर करता है लागू वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संधियों पर ।

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(4.2.8) IP: बौद्धिक संपत्ति जैसे बनाया या अधिकृत या ख़रीदा सॉफ्टवेयर, ब्रांडनाम, पेटेंट, कॉपीराईट, संपत्ति कर से बाहर होगी ।

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(4.3) 60 वर्षों से कम विधवायों, ना कि विधुरों, की भी सामान्य छूट दोगुनी होगी । हालाँकि, 60 वर्षों से ऊपर की विधवायों के लिए भी यह दोगुनी होगी और ना कि चार गुना होगी; 80 वर्षों से ऊपर की विधवायों के लिए भी यह चार गुना होगी और ना कि आठ गुना होगी ।

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(4.4) सभी गैर-व्यक्तित्व तत्वों जैसे किसी भी प्रकार की कंपनी, धार्मिक ट्रस्ट और सभी अन्य ट्रस्ट, सभी संघ या समिति, अविभाजित हिन्दू परिवारों, इत्यादि के लिए सामान्य छूट शून्य होगी । विदेशी नागरिकों के लिए भी सामान्य छूट शून्य होगी । सामान्य छूट केवल जीवित भारतीय नागरिकों के लिए हैं ।

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(5) WTC=संपत्ति कर क्रेडिट्स: संपत्ति कर क्रेडिट्स वह राशि है जो किसी व्यक्ति को करों जैसे आयकर, पेट्रोल/बिजली पर कर और अन्य करों को चुकाने के लिए मिलती है । संपत्ति कर क्रेडिट्स चुकाया जाने वाले निर्णायक संपत्ति कर को कम करते है चूंकि इन क्रेडिट्स को संपत्ति के स्वामित्व के कारण लगने वाले संपत्ति कर से घटाया जा सकता है ।

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(5.1) इस संपत्ति कर कानून के लागू होने के बाद, वर्षों के लिए, संपत्ति कर क्रेडिट्स में निम्नलिखित आयेंगे

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(5.1.1) IT1: सभी गैर-वेतन आय, किराया आय को शामिल करने पर, चुकाया आयकर संपत्ति कर क्रेडिट में जुड़ेगा ।

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(5.1.2) IT2 : वेतन और भत्ते आय पर चुकाया आयकर का 50%, जिसने वेतन प्राप्त की है और उस पर कर भरा है, उस कर्मचारी के संपत्ति कर क्रेडिट में जुड़ेगा ।

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(5.1.3) SAL: इन दोनों का अधिकतम- (नियुक्ता द्वारा एक कर्मचारी को चुकाई गयी वेतन का 5% या नियुक्ता द्वारा दी गयी वेतन और भत्ते पर उस कर्मचारी द्वारा चुकाया आयकर का 50%), हर एक कर्मचारी के लिए अलग अलग रूप से-- नियुक्ता के लिए संपत्ति कर क्रेडिट बनेगा; कर्मचारी को अपने आयकर रिटर्न में नियुकता की पैन-संख्या जरुर बतानी होगी (या इस कानून के लागू होने के बाद भी बता सकता है ) या नियुक्ता के पास भुगतान के प्रमाण होना चाहिए; चुकाए भत्तों पर भरा आयकर भी मूल वेतन पर चुकाए आयकर के साथ साथ गिना जायेगा ।

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(5.1.4) OT : केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानिक सरकार को चुकाए सभी अन्य करों का 65% संपत्ति कर क्रेडिट बनेगा जैसे (a) वस्तु एवं सेवा कर मिलाकर जब तक वस्तु एवं सेवा कर चल रहा है (b) संपत्ति कर छोड़कर (c) कस्टम शुल्क छोड़कर (d) बिजली, फ़ोन, इन्टरनेट, ईधन, तम्बाकू, शराब पर चुकाए करों को मिलाकर (e) पानी, गटर, पार्किंग, सड़क, टोल के उपयोग पर चुकाए शुल्कों को छोड़कर (f) अप्रत्यक्ष करों जैसे वस्तु एवं सेवा कर की स्थिति में कर क्रेडिट खरीददार को मिलेगा ना कि विक्रेता को और खरीददार के पास प्राप्ति रसीद जरुर होना चाहिए और उसे भुगतान करने के विशेष माध्यम का उपयोग भी करना पड़ सकता है ।

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(5.1.5) PF: नियुक्ता द्वारा कर्मचारी को भुगतान किये गए प्रोविडेंट फण्ड का 15% नियुक्ता के लिए संपत्ति कर क्रेडिट बन जायेगा ।

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(5.1.6) CSP: CSP=“दान सेवा अंक” जो किसी व्यक्ति या कंपनी या ट्रस्ट या एक तत्व ने प्राप्त किये हैं, प्रति दान सेवा अंक पर मिली छूट अर्थात रु. 100 प्रति वर्ष से गुना करने पर; एक व्यक्ति अधिकतम 5 विभिन्न व्यक्तियों या तत्वों को 1 दान सेवा अंक हर एक को दे सकता है; एक व्यक्ति एक व्यक्ति या ट्रस्ट या तत्व को बहुत से दान सेवा अंक भी दे सकता है; उदहारण- एक व्यक्ति सभी 5 अंक किसी एक व्यक्ति या ट्रस्ट या तत्व को दे सकता है । प्रधानमंत्री अधिसूचना के माध्यम से प्रति दान सेवा अंक की छूट बढ़ा या घटा सकते है ।

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टिप्पणी : मान लीजिये किसी व्यक्ति या ट्रस्ट के पास 10 लाख अनुयायी है और मान लीजिये 7 लाख में से हर एक अनुयायी 1 अंक देता हैं और 2 लाख में से हर एक अनुयायी 2 अंक देता हैं और 1 लाख में से हर एक अनुयायी 5 अंक देता है | तब कुल अर्जित अंक होंगे = 7 लाख 1 + 2 लाख 2 + 1 लाख 5 = 16 लाख । तो इसलिए संपत्ति कर क्रेडिट 16 लाख रु. 100 प्रति अंक = रु. 16 करोड़ होगा ।

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(5.2) कम भुगतान करने के कारण चुकाए आर्थिक दंड और देरी से भुगतान करने या कम भुगतान करने पर चुकाया ब्याज संपत्ति कर क्रेडिट में शामिल नहीं किया जायेगा ।

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(5.3) संपत्ति कर क्रेडिट के लिए, संपत्ति कर कानून आरंभ होने के बाद, एक चुकाई राशि संपत्ति कर क्रेडिट में जुड़ जाएगी उस तारीख पर जिस पर भुगतान हुआ था और चेक क्लियर हुआ था, ना कि उस तारीख पर जिस पर भुगतान जमा हुआ था या भुगतान लायक हुआ था या जिस तारिक पर चेक जारी हुआ था या दिया गया था ।

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(5.4) संपत्ति कर क्रेडिट का हस्तांतरण एक तत्व से अन्य को

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(5.4.1) एक व्यक्ति के संपत्ति कर क्रेडिट का हस्तांतरण किसी भी परिवार सदस्य या अन्य व्यक्ति या ट्रस्ट या सार्वजनिक कंपनी को नहीं हो सकता ।

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(5.4.2) किसी ट्रस्ट या सार्वजनिक मर्यादित कंपनी के संपत्ति कर क्रेडिट का हस्तांतरण उसके शेयर धारकों या ट्रस्टियों या किसी अन्य को नही किया जा सकता । एक सार्वजनिक कंपनी के संपत्ति कर क्रेडिट को उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी को हस्तांतरित किया जा सकता है या इसके विपरीत क्रम में किया जा सकता है । कोई भी कंपनी अपने संपत्ति कर क्रेडिट उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी को हस्तांतरित कर सकती है या इसके विपरीत क्रम हो सकता है, बशर्ते मूल कंपनी सहायक कंपनी के जन्म समय से जुडी रही थी । यदि कंपनी का अभिग्रहण बाद में हुआ था, तब संपत्ति कर क्रेडिट की प्राप्ति केवल अभिग्रहण के हस्तांतरण के बाद हो सकती है ।

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(5.4.3) विलय या अभिग्रहण की स्थिति में, अधिकतम संपत्ति कर क्रेडिट के साथ वाली कंपनी के क्रेडिट निर्णायक संपत्ति कर क्रेडिट बन जायेंगे, लेकिन दोनों कंपनियों के संपत्ति कर क्रेडिट नहीं जुड़ेंगे ।

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(5.4.4) एक सहभागिता या निजी मर्यादित कंपनी के संपत्ति कर क्रेडिट उसके स्वामियों को उनके स्वामित्व के अनुपात में हस्तांतरित किये जा सकते हैं; यह हस्तांतरित संपत्ति कर क्रेडिट पुन: हस्तांतरित नहीं हो सकेंगे ।

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(5.4.5) एक व्यक्ति उसके संपत्ति कर क्रेडिट किसी सहभागिता या मर्यादित कंपनी को हस्तांतरित कर सकता है, बशर्ते उसके पास अमुक कंपनी के 10% से ऊपर शेयर 2 से ऊपर वर्षों के लिए रहना चाहिए या वह अमुक कंपनी का सहभागी जन्मदाता होना चाहिए । ऐसे हस्तांतरित संपत्ति कर क्रेडिट शून्य हो जायेंगे यदि अमुक कंपनी अभिग्रहत या विलय या विक्रय या भंग हो जाती है; और यह संपत्ति कर क्रेडिट दोबारा हस्तांतरित नहीं हो सकेंगे ।

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(5.4.6) किरायेदार बिजली, पानी, लैंडलाइन फ़ोन और इन्टरनेट के ऊपर लगाये टैक्स से आ रहे संपत्ति कर क्रेडिट को मकान मालिक को हस्तांतरित कर सकता है, और ऐसी स्थिति में मालिक को संपत्ति कर क्रेडिट प्राप्त होंगे । किरायेदार ने इन खर्चों को अपने आयकर रिटर्न में व्यावसायिक खर्चों के रूप में नहीं लिया हो । अंतिम निर्णय किरायेदार का होगा । मालिक और किरायेदार लाभ बाटने के लिए एक समझौता तय कर सकते हैं । मालिक इन संपत्ति कर क्रेडिट का उपयोग सिर्फ उस विशिष्ट वर्ष में उस विशिष्ट मकान का संपत्ति कर कम रखने के लिए कर सकता है ।

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(5.4.7) प्राप्त संपत्ति कर क्रेडिट पुन:हस्तांतरित नहीं हो सकते है, अर्थात हस्तांतरण मात्र एक बार हो सकता है; हस्तांतरित के माध्यम से संपत्ति कर क्रेडिट प्राप्त करने से पहले स्वयं के संपत्ति कर क्रेडिट छोड़ने होंगे ।

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(6) चुकाए जाने वाले संपत्ति कर और चुकाई जाने वाली वास्तविक राशि की गणना

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(6.1) करयोग्य संपत्ति-I की कीमत की गणना करना

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(6.1.1) LNA = जमीन की कीमत : मालिक उसे और उसके पारिवारिक सदस्यों को मिलने वाली छूट जैसे 25 वर्ग मीटर जमीन प्रति पारिवारिक सदस्य को घटा सकता है । किसी भी प्लोटों जिनहे वह चाहे घटा सकता है और ये जरुरी नहीं है कि वह उन प्लोटों पर निवास कर रहा हो । शेष प्लोटों की सर्किल रेट को जमीन की करयोग्य कीमत की गणना के लिए लिया जायेगा ।

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(6.1.1.a) जब ये कानून पारित हुआ था, यदि उस समय अमुक प्लाट/घर किराये पर था, तब किरायेदार और ना कि मालिक, रिटर्न भरेगा । मालिक अपनी जमीन इसमें से घटा सकता है ।

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(6.1.1.b) यदि एक व्यक्ति किसी कॉम्प्लेक्स में एक फ्लैट या ऑफिस का मालिक है,तब उसके मालिकाना जमीन का क्षेत्रफल, अमुक कॉम्प्लेक्स में शेयर स्वामित्व के अनुसार तय किया जायेगा या यथानुपात निर्माण क्षेत्र के अनुसार जब कॉम्प्लेक्स का निर्माण हुआ था यदि कोई शेयर स्वामित्व नहीं है तो । विवाद की स्थिति में, राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी द्वारा नियुक्त एक अधिकारी अमुक हाउसिंग सोसाइटी या कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में हुए समझौते के आधार पर फैसला करेगा ।

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(6.1.2) C=निर्माण की कीमत : मालिक उसे और उसके पारिवारिक सदस्यों को मिलने वाली छूट जैसे 50 वर्ग मीटर जमीन प्रति पारिवारिक सदस्य को घटा सकता है । शेष निर्माण की कीमत ( सर्किल रेट, खरीद मूल्य जैसा मालिक द्वारा बताया गया है और मालिक द्वारा बताये गए योगों को जोड़कर माइनस अवमूल्यन और सूचीकरण जोड़कर ) दोनों राशी में से जो अधिक है, निर्धारित होगी ।

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(6.1.2.a) जब ये कानून पारित हुआ था, यदि उस समय अमुक घर किराये पर दिया था, तब किरायेदार और ना कि मालिक, रिटर्न भरेगा । मालिक अपना निर्माण इसमें से घटा सकता है ।

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(6.1.3) LA = कृषि भूमि की कीमत : मालिक प्रति पारिवारिक सदस्य 2 एकड़ तक भूमि घटा सकता है यदि लागू होता है । शेष भूमि का मूल्यांकन सर्किल रेट पर किया जायेगा ।

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(6.1.4) G=सोना, चाँदी, धातुएँ, हीरे और बेशकीमती पत्थर की कीमत : मालिक प्रति पुरुष पारिवारिक सदस्य 100 ग्राम सोना और प्रति महिला पारिवारिक सदस्य 500 ग्राम सोना घटा सकता है, यदि लागू होता है । अन्य धातुओं के लिए राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी बाजार मूल्य के अनुसार अनुपात जारी करेगा जैसे 1 ग्राम सोना = 500 ग्राम चाँदी । यह कीमत वार्षिक औसत कीमत पर तय होगी । मजदूरी की कीमत शामिल नहीं होगी । हीरों की कीमत का मूल्यांकन खरीद कीमत सूचीकरण जोड़कर और बिना अवमूल्यन, पर होगा ।

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(6.1.5) B: बैंक में जमा राशी और सरकारी बांड्स संपत्ति कर के दायरे से बाहर होंगे ।

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(6.2) करयोग्य संपत्ति-II की कीमत की गणना करना

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(6.2.1) V = वाहनो की कीमत: 15% प्रति वर्ष का अवमूल्यन लागू होगा । मालिक रु. 5 लाख प्रति परिवार सदस्य जैसा लागू होता है, घटा सकता है ।

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(6.2.2) H= हाथ पर नकद पैसा: अंतिम तारीख पर जितना नकद पैसा हाथ पर होगा, करयोग्य होगा । मालिक (रु. 1 लाख प्रति परिवार सदस्य साथ में उस परिवार सदस्य द्वारा पिछले वर्ष में चुकाया आयकर का 10% जोड़कर) जैसा भी लागू होता है, घटा सकता है । शेष नकदी करयोग्य होगी ।

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(6.2.3)F= फर्नीचर इत्यादि की कीमत : फर्नीचर, घरेलू और निजी इलेक्ट्रिकल सामग्री, घरेलू और निजी इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियाँ पर्सनल कंप्यूटर को मिलाकर, रु. 4 लाख से कम प्रति परिवार सदस्य तक की छूट है; और अनुपयोगी छूट एक या उससे अधिक परिवार सदस्य को हस्तांतरित की जा सकती है; मालिक संपत्ति कर कम करने के लिए अवमूल्यन का दावा कर सकता है । छूट के बाद अवमूल्यित कीमत को ही फर्नीचर इत्यादि की करयोग्य कीमत माना जायेगा । आयकर अधिनियम के तहत अवमूल्यन होंगे ।

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(6.2.4) M=औद्योगिक मशीनरी की कीमत : कोई छूट नहीं, लेकिन मालिक संपत्ति कर कम करने के लिए आयकर अधिनियम के तहत अवमूल्यन का दावा कर सकता है जैसे 15% प्रति वर्ष या जैसा कि आयकर अधिनियम में स्वीकृत किया है । अवमूल्यित कीमत ही मशीनरी की करयोग्य कीमत होगी ।

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(6.2.5) AF= कला सामग्री: कीमती कलासामग्री जैसे मूर्तियाँ और पेंटिंग्स पर रु. 4 लाख प्रति परिवार सदस्य तक की छूट होगी और ये किसी परिवार सदस्य को हस्तांतरित हो सकेगी । सूचकांक खरीद कीमत बिना अवमूल्यन के साथ ही करयोग्य कीमत होगी । मालिक मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकता है यदि कीमत सूचकांक खरीद कीमत से कम है और ऐसे मामलों में राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी द्वारा नियुक्त अधिकारी तय करेगा और उसका फैसला जूरी सदस्य पलट सकते है ।

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(6.2.6) शेयर्स, बांड्स, डिबेंचर्स की करयोग्य कीमत की गणना: (a) संपत्ति कर कार्यों के लिए, शेयर्स, बांड्स और डिबेंचर्स एक समान ही माने जाएँगे (b) सरकारी बांड्स, सार्वजानिक क्षेत्र उपक्रम के शेयर्स, बांड्स और डिबेंचर्स पर संपत्ति कर शून्य होगा (c) सहभागिता और मर्यादित कंपनियों पर भी संपत्ति कर शून्य होगा (d) सार्वजनिक मर्यादित कंपनियों के लिए, शेयर्स पर चुकाया संपत्ति कर या तो कंपनी चुकाएगी या फिर प्रत्येक शेयरधारक लेकिन दोनों नहीं (e) सार्वजनिक कंपनी को तय करना होगा कि संपत्ति कर कंपनी चुकाएगी या फिर शेयरधारक और ये फैसला कंपनी के निर्माण के समय लिया जायेगा और इसे 1 साल के नोटिस द्वारा बदला भी जा सकता है (f) वर्तमान में संचालित कंपनी को इस कानून के पारित होने के दिन पर, 3 महीनो के अन्दर ये तय करना होगा । यदि वे कोई निर्णय नहीं लेती तब ये मान लिया जायेगा कि कंपनी संपत्ति कर चुकाने को तैयार है ।

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(6.2.6.1) SX= सार्वजानिक कंपनी के शेयर की करयोग्य कीमत जहाँ कंपनी संपत्ति कर चुका रही है । वह करयोग्य कीमत होगी = [अमुक वर्ष में कंपनी का औसत बाजार पूंजीकरण - 5*(गैर कृषि भूमि + निर्माण + कृषि भूमि + सोना + वाहन+ नकदी + फर्नीचर+ मशीनरी + कला सामग्री )-SY] ,जहाँ SY का अर्थ उस कंपनी के स्वामित्व वाले शेयर्स की करयोग्य कीमत है, जो कंपनियां संपत्ति कर चुकाने की इक्छुक नहीं है और उनके शेयर धारक चुका रहे हैं । और यदि SX नेगेटिव है तो उसे शून्य मान लिया जायेगा । कृपया ध्यान दे कंपनी के स्वामित्व की कुछ संपत्ति की कीमत (सिवाय उसके स्वामित्व के करयोग्य शेयर्स ),का गुणा 5 से किया है ।

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(6.2.6.2) SY= सार्वजानिक कंपनी के शेयर की करयोग्य कीमत जहाँ कंपनी संपत्ति कर नहीं चुका रही है | वह करयोग्य कीमत होगी =[ अमुक वर्ष में औसतन बाजार शेयर कीमत--(प्रति शेयर पर कंपनी द्वारा चुकाया संपत्ति कर * 1/R)], जहाँ R का अर्थ संपत्ति कर दर है । R का मान 1% रहेगा जब तक प्रधानमंत्री इसे नहीं बदलते । यदि शेयर को पूरे वर्ष के स्थान पर कुछ समय के लिए ही धारण किया गया है तब उसकी कीमत अमुक समय के ऊपर औसत कीमत होगी और साल के उस भाग को उससे गुणा कर दिया जायेगा । शेयर की दैनिक औसत कीमत की गणना राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी के द्वारा होगी ।

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(6.2.7) FW= भारत में अर्जित आय से विदेशों में खरीदी गयी संपत्ति का मूल्यांकन भारतीय रुपयों में उस समय की खरीद कीमत पर होगा जब खरीदी हुई थी और भारतीय रूपये में सूचीकरण के आधार पर होगा । आयकर अधिनियम के तहत उचित अवमूल्यन लागू होगा । यदि संपत्ति कर उस देश में चुकाया जा रहा है जहाँ संपत्ति है, तब उस संपत्ति कर को विदेशों में अर्जित संपत्ति के ऊपर चुकाए जा रहे संपत्ति कर में से घटा दिया जायेगा ।

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(6.2.8) IP: बौद्धिक संपत्ति जैसे बनाया या अधिकृत या ख़रीदा गया सॉफ्टवेर, ब्रांडनाम, पेटेंट्स, कॉपीराइट्स, संपत्ति कर के दायरे से बाहर होगी ।

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(6.2.9) RP=किराये पर दी गयी संपत्ति पर संपत्ति कर: किराये पर दी गयी संपत्ति पर संपत्ति कर की गणना निम्नलिखित विधि से होगी ।

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(6.2.9.1) यदि किराये का समझौता इस कानून के लागू होने के बाद किया गया था , तब सारा संपत्ति कर केवल मालिक पर लगेगा । मालिक और किरायेदार किराया समझौता बनाने से पूर्व अपने भाग का संपत्ति कर तय करें । किरायेदार को संपत्ति कर कम रखने के लिए जमीन या निर्माण की छूट की अनुमति नहीं होगी । लेकिन जो कर किरायेदार बिजली, पानी, लैंडलाइन फ़ोन और लैंडलाइन इन्टरनेट कनेक्शन पर चुकाता है, फ्लैट मालिक के संपत्ति कर क्रेडिट में जोड़ा जा सकता है यदि मालिक और किरायेदार दोनों सहमत है ।

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(6.2.9.2) इस कानून के लागू होने के बाद 6 महीने के अन्दर, किरायेदार बिना किसी जुर्माने के किराया समझौता तोड़ने के लिए स्वतंत्र होगा । मालिक को इस खंड से कोई ऐसा लाभ नहीं मिलेगा । ऐसे मामले में, इन 6 महीनो के लिए, ना तो मालिक को और ना किरायेदार को इस घर के ऊपर कोई भी संपत्ति कर चुकाना होगा ।

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(6.2.9.3) यदि किराया समझौता इस कानून के लागू होने से पूर्व हो चूका था और इस कानून के लागू होने के बाद किरायेदार 6 महीने से अधिक के लिए जारी रखना चाहता है, तब उस घर या ऑफिस पर सारा संपत्ति कर किरायेदार चुकाएगा जब तक वह खाली नहीं करता । किरायेदार संपत्ति कर कम रखने के लिए अमुक घर के लिए मिली उसकी जमीन और निर्माण की छूट का शून्य या सम्पूर्ण लेकिन भाग नहीं का उपयोग कर सकता है । और उसकी एक पत्नी और 18 वर्ष से कम के अधिकतम 2 बच्चे और उसके माता-पिता और उसकी पत्नी के माता पिता का अधिकतम 2, सम्पति कर कम रखने के लिए अमुक जमीन और निर्माण के लिए मिली सामान्य छूट का शून्य या सम्पूर्ण लेकिन कुछ भाग नहीं, उपयोग कर सकते हैं । व्यक्ति जिसकी छूट का उपयोग हो रहा है, जरुरी नहीं वह वहां निवास कर रहा हो । मालिक की छूट का उपयोग संपत्ति कर कम रखने के लिए नहीं हो सकता है । अन्य सगे-सम्बन्धियों की छूट का उपयोग नहीं हो सकता है । मालिक की छूट का उपयोग संपत्ति कर कम करने के लिए नहीं हो सकता । बिजली, पानी, लैंडलाइन फ़ोन और लैंडलाइन इन्टरनेट कनेक्शन पर चुकाए कर का उपयोग संपत्ति कर कम करने के लिए हो सकता है । मालिक का संपत्ति कर क्रेडिट का उपयोग ऐसे घर के संपत्ति कर को कम करने के लिए नहीं हो सकता । ऐसी किराये पर दी गयी संपत्ति का रिटर्न किरायेदार द्वारा अलग से भरा जायेगा और मालिक ऐसे घर के लिए शून्य प्रविष्टि दर्ज करेगा जिसमे नाम और किरायेदार की जानकारियाँ और संपत्ति का पता बताया गया हो ।

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(6.3) TTW=संपत्ति की कुल करयोग्य कीमत : एक व्यक्ति या ट्रस्ट या गैर सार्वजनिक कंपनी या किसी तत्व की संपत्ति की कुल करयोग्य कीमत = (LNA + C + LA + G + V + F+ M + AF + SY + FW + RP), संपत्ति मालिक और उसके पारिवारिक सदस्यों के लिए लागू होने वाली छूट को घटाने के बाद, होगी । और सार्वजनिक कंपनियों के लिए, जो कंपनियां उनके शेयर्स पर संपत्ति कर चुकाना चाहती हैं, SX राशि जैसा ऊपर बताये खंड में विवरण दिया है, यहाँ बताये इस योग में जुड़ जायेगी ।

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(6.4)WT= चुकाए जाने वाला संपत्ति कर: प्रति वर्ष चुकाए जाने वाला संपत्ति कर होगा [(TTW का 1%) घटाकर PWTC घटाकर WTC] अर्थात (TTW का 1%) से PWTC घटाया जा सकता है (PWTC बाद के खण्डों में बताया गया है ) । एक बार PWTC समाप्त हो जाते है, तब WTCs वित्त वर्षों के लिए बढ़ते क्रम में अर्थात सबसे पुराना WTC पहले, घटाया जायेगा । यदि अंतिम राशी का मान सकारात्मक (पॉजिटिव) है, तब उतनी राशी का संपत्ति कर चुकाना होगा । यदि अंतिम राशी का मान नकरात्मक (नेगेटिव) है, तब PWTC या WTC कम कर दिए जायेंगे लेकिन चुकाए जाने वाला वास्तविक संपत्ति कर शून्य होगा । PWTC और WTC की शेष बची राशी का उपयोग आने वाले वर्षों में संपत्ति कर के निपटारे के लिए किया जा सकता है ।

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[टिप्पणी: मान लीजिये, संपत्ति कर कानून 1 अप्रैल 2019 से लागू होता है, मान लीजिये PWTC रु. 20 करोड़ है और मान लीजिये वित्त वर्ष -2019- 2020 के लिए WTC रु. 10 करोड़ है ।

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अब

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(a) मान लीजिये वित्त वर्ष -2019- 2020 के लिए संपत्ति कर रु. 13 करोड़ है । तब आंशिक रूप से PWTC निकाल दिया जायेगा और वास्तविक चुकाए जाने वाले पैसे शून्य होंगे । अगले वर्ष के लिए उपलब्ध PWTC रु. 7 करोड़ होगा और अगले वर्ष के लिए उपलब्ध WTC रु. 10 करोड़ होगा ।

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(b) मान लीजिये वित्त वर्ष-2019- 2020 के लिए संपत्ति कर रु. 21 करोड़ है । तब पूर्ण रूप से PWTC का उपयोग हो जायेगा और आंशिक रूप से WTC का उपयोग हो जायेगा और और अगले वर्ष के लिए उपलब्ध WTC रु. 9 करोड़ होगा ।

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(c) मान लीजिये वित्त वर्ष-2019- 2020 के लिए संपत्ति कर रु. 43 करोड़ है । तब पूर्ण रूप से PWTC का उपयोग हो जायेगा और पूर्ण रूप से WTC का भी उपयोग हो जायेगा और मालिक को संपत्ति कर के रूप में रु. 13 करोड़ चुकाने होंगे और अगले वर्ष के लिए PWTC और WTC शून्य होंगे । ]

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(6.5) ऊपर बताई गयी “1%” दर प्रधानमंत्री द्वारा बदली जा सकती है, जो आवश्यक सरकारी तंत्रों जैसे सेना, पुलिस, अदालतें, सड़कें, गणित / विज्ञान / हथियारों के प्रयोग की शिक्षा और सरकार के पोषण और शत्रुओं और अपराधियों से संपत्ति की रक्षा के लिए होने वाले अन्य आवश्यक खर्चों पर निर्भर करती है ।

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(6.6) संपत्ति कर ना चुका पाने की दशा में, संपत्ति मालिक उसकी संपत्ति की बंदी का निवेदन कर सकता है और ऐसे मामले में 12% प्रति वर्ष का ब्याज लागू होगा । फिर भी, संपत्ति की कीमत मांगे जाने वाले कर की कीमत से कम से कम दोगुनी होना चाहिए । यदि संपत्ति की कीमत मांगे जाने वाले कर के दोगुने से भी कम जाती है, तब राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी संपत्ति की नीलामी का आदेश दे सकता है, सिवाय उस स्थिति को छोड़कर जब मालिक एक महिला है या 60 वर्ष की आयु से ऊपर का एक पुरुष है और उसके पास अमुक घर ही एकमात्र संपत्ति है । ऐसी स्थिति में, माँगा गया कर जमा होता रहेगा और बिक्री या विरासत के समय निपटाया जायेगा ।

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(7) PWTC= पिछले संपत्ति कर क्रेडिट अर्थात पिछले वर्षों में चुकाए गए आयकर और अन्य करों के लिए संपत्ति कर क्रेडिट्स : पिछले 4 वर्षों में अनेक करों और किये गए अन्य भुगतानो को पिछले 4 वर्षों में संभावित संपत्ति कर से घटाकर, PWTC बनेगा । PWTC का महत्त्व इस कानून के लागू होने के बाद केवल 3 वर्ष तक के लिए रहेगा ।

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(7.1) PWTC की गणना प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए अलग अलग होगी | इसे PWTC-AY-yyyy-(yyyy+1) जैसा लेबल दिया जायेगा जिसका अर्थ है, निर्धारित वर्ष yyyy से (yyyy+1) के लिए PWTC

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(7.2) PWTC की गणना इस संपत्ति कर कानून के शुरू होने से पूर्व 4 वर्षों तक के लिए होगी ।

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[ टिप्पणी :

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वर्तमान आयकर अधिनियम में दी परिभाषाओं के अनुसार

(a) FY= वित्तीय वर्ष

(ब) AY= निर्धारित वर्ष

(c) FY-(yyyy)-(yyyy+1)=AY-(yyyy+1)-(yyyy+2) । उदहारण FY-2018-2019 है AY-2019-2020 और इसका उल्टा ।

(d) वर्ष का आरंभ 1 अप्रैल से होता है और अंत 31 मार्च को । FY-2018-2019 उन लेनदेन को देखेगा जो दिनांक 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 में हुए हैं ।

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ये संपत्ति कर अधिनियम भी FY और AY के लिए समान परिभाषाओं का ही अनुसरण करेगा ।

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मान लीजिये संपत्ति कर 1 अप्रैल 2019 से आरंभ होता है ।

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PWTC1= PWTC-FY-2018-2019: FY-2018-2019 = AY-2019-2020 =1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 की अवधि के लिए चुकाए गए करों से उत्पन्न संपत्ति कर क्रेडिट ।

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PWTC2= PWTC-FY-2017-2018: FY-2017-2018 = AY-2018-2019 =1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 की अवधि के लिए चुकाए गए करों से उत्पन्न संपत्ति कर क्रेडिट ।

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PWTC3= PWTC-FY-2016-2017: FY-2016-2017= AY-2017-2018 =1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 की अवधि के लिए चुकाए गए करों से उत्पन्न संपत्ति कर क्रेडिट ।

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PWTC4= PWTC-FY-2015-2016: FY-2015-2016= AY-2016-2017=1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 की अवधि के लिए चुकाए गए करों से उत्पन्न संपत्ति कर क्रेडिट । ]

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(7.3) आयकर से प्राप्त PWTC- (a) आयकर से प्राप्त PWTC कुल चुकाए आयकर से ज्यादा नहीं होगा । (b) करयोग्य आय को दो भागों में विभाजित किया जायेगा -- वेतन से प्राप्त हो रही करयोग्य आय और गैर-वेतन स्त्रोत्र से प्राप्त हो रही करयोग्य आय । (c) गैर-वेतन आय पर यथानुपात चुकाए आयकर को PWTC में जोड़ा जाएगा । (d) वेतन से हो रही आय पर 50% यथानुपात चुकाए आयकर को PWTC में जोड़ा जाएगा । (e) गणना इस प्रकार होगी जिससे न्यूनतम PWTC बनना संभव हो ।

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[ टिप्पणी-1: यदि करयोग्य आय में मान लीजिये वेतन का भाग रु. X है और गैर-वेतन का भाग मान लीजिये रु. Y है और कुल करयोग्य आय रु. (X+Y) थी । मान लीजिये कुल चुकाया कर रु. T था । तब वेतन आय से प्राप्त कर रु. TX/(X+Y) माना जायेगा और गैर-वेतन आय से प्राप्त कर रु. TY/(X+Y) माना जायेगा । तो रु. TY/(X+Y) + 0.5 (रु. TX/(X+Y)) PWTC होगा ।

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टिप्पणी-2: मान लीजिये, पूरी करयोग्य आय गैर-वेतन से है | तब PWTC चुकाए आयकर के बराबर होगा । और मान लीजिये पूरी करयोग्य आय वेतन से थी । तब PWTC चुकाए आयकर के आधे भाग के बराबर होगा ।

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टिप्पणी-3: असमंझस की स्थिति में, वेतन का अंश अधिकतम रखा जायेगा और गैर वेतन का अंश न्यूनतम रखा जायेगा । उदहारण मान लीजिये, वेतन से प्राप्त आय रु. 3 लाख है और गैर वेतन से प्राप्त आय रु. 5 लाख है और जमा किया PPF मान लीजिये रु. 1 लाख है और PPF और मान्य कटौती के अलावा, अन्य कटौतियाँ नहीं हुई है । तब करयोग आय मान लीजिये थी रु.( 3 लाख + 5 लाख - 1 लाख - 2.5 लाख)= रु. 4.5 लाख । तब वेतन से प्राप्त आय और गैर-वेतन से प्राप्त आय के हिस्से की गणना करते समय, पूरा PPF और मूल राशि को गैर-वेतन से घटाना चाहिए जिससे PWTC न्यूनतम संभव हो पाए ।

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टिप्पणी-4: मान लीजिये, कुल करयोग्य आय रु. 8 लाख थी और कुल चुकाया कर रु. 2 लाख था । मान लीजिये, करयोग आय में वेतन का अंश रु. 3 लाख था और गैर-वेतन का अंश रु. 5 लाख था । तब गैर वेतन से प्राप्त PWTC (रु. 2 लाख रु. 5 लाख / रु. 8 लाख)= 1.25 लाख होगा । और वेतन के हिस्से से प्राप्त PWTC 0.5(रु. 2 लाख * रु. 3 लाख / रु. 8 लाख)= रु. 0.375 लाख होगा । इसलिए कुल PWTC रु. 1.625 लाख होगा ।]

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(7.4) प्रत्येक नियुक्ता या मालिक को, मालिक के द्वारा चुकाया प्रोविडेंट फण्ड का 15% मालिक के PWTC में जोड़ा जायेगा ।

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(7.5) प्रत्येक मालिक को, उसके द्वारा अपने कर्मचारियों को चुकाई मूल वेतन का एक हिस्सा PWTC में जुड़ेगा । अमुक हिस्से इस प्रकार होंगे (रु. 5 लाख से कम की मूल वेतन का 0%, रु. 5 लाख से रु. 10 लाख की मध्य की मूल वेतन का 5%, रु. 10 लाख से रु. 20 लाख की मध्य की मूल वेतन का 10%, और रु.20 लाख से ऊपर की मूल वेतन का 15% ) । यहाँ उल्लेखित मूल वेतन राशियां सम्पूर्ण वित्तीय वर्ष के दौरान वार्षिक है । और केवल मूल वेतन को लिया जायेगा- भत्ते और छूट शामिल नहीं होंगे । ये जोड़ केवल तभी उपलब्ध होंगे यदि कर्मचारी ने अपने आयकर रिटर्न में वेतन का ख़ुलासा किया है या मालिक ने चेक द्वारा चुकाया है और उसके पास इसका प्रमाण है ।

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(7.6) निम्न चुकाए करों का 50% उस वित्तीय वर्ष के लिए PWTC में जुड़ेगा (a) सेवा कर (b) उत्पाद कर (c) वस्तु और सेवा कर (d) वैट (e) केंद्रीय विक्रय कर (f) स्थानिक संपत्ति कर (g) पे रोल कर (h) व्यावसायिक कर (i) राज्य आगमन कर

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(7.6.1)निम्न PWTC में नहीं जोड़ा जायेगा-(a) जल, पार्किंग और नाला जल निकासी शुल्क (b) कस्टम शुल्क (c) पेट्रोल, ईधन, बिजली, तंबाकू, शराब, सोना, चाँदी, टेलीफोन और इन्टरनेट पर चुकाया किसी भी प्रकार का कर (d) मनोरंजन कर (e) माल पर चुंगी कर और स्थानिक कर (f) चुकाए कर जो ऊपर के खंड सूचीबद्ध नहीं है ।

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(7.6.2)अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद कर, जीएसटी, वैट, सेवा कर, केंद्रीय विक्रय कर, आगमन कर आदि के मामले में, इस खंड में दिया PWTC विक्रेता को मिलेगा और ना कि क्रेता और केवल तब यदि विक्रेता के पास उचित पंजीकरण संख्या है और भुगतान के प्रमाण का मिलान सरकारी रिकॉर्ड से होता है ।

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टिप्पणी: WTC में, क्रेता क्रेडिट प्राप्त करता है जबकि PWTC में विक्रेता क्रेडिट प्राप्त करता है ।

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(7.7) ऊपर बताए करों पर भुगतान ना करने या देरी से करने के कारण चुकाया आर्थिक दंड और ब्याज

PWTC में उसी अनुपात में जुड़ेगा, जैसा उस विशेष कर पर लागू होता है । इस कानून के पारित होने के बाद और PWTC का दावा भरने से पूर्व, 6 महीनों के अन्दर सारे भुगतान हो जाने चाहिए ।

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(7.8) PWTC देय तारीख का ध्यान रखेगा और ना कि उस तारीख का जिस दिन भुगतान हुआ । और यदि PWTC ले लिया है, तब इस कानून के पारित होने के बाद और PWTC का दावा भरने से पूर्व, 6 महीनों के अन्दर भुगतान हो जाना चाहिए । यदि भुगतान नहीं होता है, उसे PWTC में नहीं जोड़ा जायेगा ।

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(7.9) कोई भी व्यक्ति1 CSP (CSP=दान सेवा अंक) 5 ट्रस्ट में से प्रत्येक को या किसी व्यक्ति को या किसी तत्व को, उसे पिछले 4 वर्षों में सेवा दी हो, दे सकता है । वह एक से ज्यादा अंक या सभी 5 अंक किसी एक तत्व को भी दे सकता है । प्राप्त अंको की संख्या का गुणा रु.100 से करने पर आयी संख्या उस तत्व के PWTC4 में जुड़ जाएगी । यह PWTC एक बार हंस्तान्तरित होने योग्य है ।

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(7.10) 4 वर्षों के 4 PWTCs के जोड़ से, जमीन की कीमत का 4% घटा दिया जायेगा । जमीन की कीमत सर्किल रेट के अनुसार तय होगी । कोई अन्य घटाव नहीं होगा । यदि घटाने के बाद अंतिम राशि नेगेटिव है, तब PWTC शून्य होगा । और यदि राशि पॉजिटिव है, तब अमुक राशि आने वाले वर्षों के लिए उपयोगी PWTC बन जाएगी ।

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(7.11) यदि PWTC रु. 1 करोड़ से ऊपर है, तब इस कानून के पारित होने के बाद एक व्यक्ति /तत्व को सारा PWTC का दावा यदि वे चाहे, 6 महीने के अन्दर करना जरुरी है । जिनका PWTC रु. 1 करोड़ से कम है वे 18 महीने के अन्दर दावा कर सकते हैं । इस अवधि के बाद, यदि कोई दावा पेश नहीं हुआ है, तब राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी द्वारा उसके लिए तैयार PWTC को अंतिम माना जायेगा । यदि वह PWTC का दावा करता है, तब PWTC का दावा पेश करने के बाद, इस कानून के पारित होने के बाद हुए भुगतान और 4 से अधिक निर्धारित /वित्तीय वर्षों के आयकर रिटर्न का रिकॉर्ड रखना होगा ।

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टिप्पणी: मान लीजिये संपत्ति कर कानून 1 अप्रैल 2019 से लागू हो जाता है । तब FY-2014-15 के रिकॉर्ड को, यदि इस वर्ष का PWTC लिया जा चूका है, 31 मार्च 2024 तक संभाल कर रखना होगा ।

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(7.12) PWTC राशि पर विवाद की दशा में, अनियमितता के मामले में बैंक रिकॉर्ड और सरकारी रिकॉर्ड को अंतिम माना जायेगा । जूरी सदस्य सुनवाई के बाद राशि संशोधित कर सकते है ।

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(7.13) PWTC का हस्तांतरण- (a) एक व्यक्ति का PWTC किसी पर पारिवारिक सदस्य या किसी अन्य व्यक्ति या किसी ट्रस्ट या किसी सार्वजनिक कंपनी को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता ।

(b) एक ट्रस्ट या एक सार्वजनिक कंपनी का PWTC उसके शेयरधारकों या ट्रस्टीयों या किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता । (c) विलय या अधिग्रहण की दशा में उच्चतम PWTC के साथ वाली कंपनी का PWTC शुद्ध PWTC बन जायेगा लेकिन दोनों जोड़े नहीं जाएंगे । (d) एक साझेदार या एक निजी मर्यादित कंपनी का आंशिक या सम्पूर्ण PWTC स्वामित्व के अनुपात में उनके मालिकों को हस्तांतरित नहीं हो सकता । (e) एक व्यक्ति उसका आंशिक या सम्पूर्ण PWTC किसी एक साझेदार या मर्यादित कंपनी को हस्तांतरित कर सकता है बशर्ते इस कानून के पारित होने वाले दिन पर उसके पास अमुक कंपनी के 20% से अधिक शेयर्स होना जरुरी है और इस कानून के पास होने के कम से कम 2 वर्ष पूर्व से कंपनी का अस्तित्व होना चाहिए । ऐसे हस्तांतरित PWTC शून्य हो जायेंगे यदि अमुक कंपनी अधिग्रहत या विलय या विक्रय या भंग हो जाती है । (f) प्राप्त PWTC किसी को भी पुन:हस्तांतरित नहीं हो सकते अर्थात हस्तान्तारण मात्र एक बार ही हो सकता है ।

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टिप्पणी: मान लीजिये एक कंपनी के पास रु. 20 करोड़ का PWTC है । वह अपने हिस्से का पूरा भाग अपने साझेदारों को हस्तांतरित करने का निर्णय कर सकती है । मान लीजिये उसने रु.12 करोड़ का अपना PWTC अपने साझेदारों को हस्तांतरित कर दिया । तब हस्तांतरण वर्तमान (भूतपूर्व नहीं) मालिकों के बिलकुल सटीक स्वामित्व अनुपात में होना चाहिए ।

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(7.14) इस कानून के लागू होने के 3 वर्ष के बाद PWTC अनुपयोगी हो जायेगा और PWTC विरासित नहीं हो सकता ।

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टिप्पणी : मान लीजिये कानून का अमल 1 अप्रैल 2019 पर आरंभ हुआ । तब PWTC का उपयोग FY-2019-2020, FY-2020-2021 और FY-2021-2022 के संपत्ति कर के निपटारे के लिए हो सकता है, लेकिन इसके बाद नहीं ।

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(8) पारिवारिक सदस्य बनने और सामान्य छूट हस्तांतरित करने की पात्रता

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(8.1) संपत्ति कर छूट के उद्देश्य हेतु, एक व्यक्ति स्वयं को एकल सदस्य अर्थात अकेला और किसी परिवार के हिस्से के रूप में नहीं या परिवार के हिस्से के रूप में, जैसा उसे उचित लगे, पंजीकृत करवा सकता है .

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(8.2) यदि एक व्यस्क व्यक्ति की संपत्ति का मूल्य, उसकी इच्छा के किसी भी 50 वर्ग मीटर भूमि क्षेत्र और उन प्लाट पर 100 वर्ग मीटर निर्माण को घटाने के बाद, रु. 25 करोड़ से ऊपर है, तब ऐसा व्यक्ति ना तो किसी से छूट ले सकता है और ना किसी को छूट दे सकता है . तो संपत्ति कर के उद्देश्य हेतु, उसे केवल एकल व्यक्ति के रूप में ही रिटर्न भरना होगा .

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(8.3) एक परिवार में एक व्यक्ति परिवार का मुखिया होगा जो 18 वर्ष की आयु से ऊपर का कोई पुरुष या स्त्री हो सकता है . एक व्यक्ति को परिवार सदस्य बनाने के लिए मुखिया का सहमत होना जरुरी है और उस व्यक्ति का भी परिवार सदस्य बनने के लिए सहमत होना जरुरी है . और यदि व्यक्ति अवयस्क है, तब उसकी माता ये तय करेगी कि बच्चे परिवार का सदस्य होना चाहिए या नहीं .

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(8.4) निम्नलिखित परिवार सदस्य हो सकते हैं :

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(8.4.1) मुखिया या उसकी पत्नी के किसी भी आयु के बच्चे परिवार के सदस्य बन सकते हैं. पूर्व विवाह से हुए बच्चे भी परिवार के सदस्य बन सकते हैं . संपत्ति कर के उद्देश्य हेतु, केवल अधिकतम 4 बच्चे ही परिवार के सदस्य हो सकते हैं.

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(8.4.2) माता पिता और सास-ससुर परिवार के सदस्य बन सकते हैं लेकिन सास-ससुर परिवार के सदस्य केवल तब ही बन सकते हैं जब/यदि पत्नी जीवित है और परिवार की सदस्य भी है . और माता-पिता और सास-ससुर में से अधिकतम 2 ही परिवार के सदस्य हो सकते हैं .

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(8.4.3) पुत्र/पुत्री के बच्चे परिवार के सदस्य बन सकते है लेकिन केवल तब, यदि पुत्र /पुत्री भी अमुक परिवार का सदस्य है .

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(8.4.4)पोते-पोतियों के बच्चे परिवार के सदस्य नहीं बन सकते .

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(8.4.5) मुखिया की अविवाहित या तलाकशुदा बहन परिवार की सदस्य हो सकती है. किसी भी आयु का भाई परिवार सदस्य बन सकता है . भाई या बहिन के बच्चे परिवार के सदस्य हो सकते हैं बशर्ते भाई या बहिन भी अमुक परिवार की सदस्य हो .

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(8.4.6) भाई या बहिन के बच्चे परिवार के सदस्य बन सकते हैं, यदि भाई या बहिन अमुक परिवार के हिस्सा हो या जीवित ना हो .

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(8.4.7) ऊपर दिए गए विवरण के अलावा कोई भी परिवार का सदस्य नहीं बन सकता .

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(8.4.8) एक परिवार में 12 से अधिक सदस्य नहीं हो सकते .

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(8.5) एक व्यक्ति दो परिवारों में सदस्य नहीं बन सकता . एकल रूप में पंजीकृत व्यक्ति भी किसी परिवार का सदस्य नहीं बन सकता . गैर-व्यक्तित्व तत्व या विदेशी भी संपत्ति कर उद्देश्य हेतु किसी भी परिवार के सदस्य नहीं हो सकते .

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(8.6) यदि एक व्यक्ति संपत्ति कर उद्देश्य हेतु परिवार बनाना चाहता है, तब उसे व्यक्तिगत रूप से पटवारी (तलाटी या ग्रामीण अधिकारी) के कार्यालय में जाकर अपने परिवार सदस्यों का पंजीकरण करवाना होगा और परिवार सदस्यों को भी भारत में स्थित किसी भी पटवारी कार्यालय में प्रस्तुत होकर इसे स्वीकृत करना होगा . अवयस्कों के लिए, माता की अनुमति जरुरी होगी. अवयस्क को कार्यालय में प्रस्तुत होने की जरुरत नहीं है .

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(8.7) पारिवारिक सदस्य अपनी सामान्य छूट का हस्तांतरण अपने मध्य कर सकते हैं .

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(8.8) पारिवारिक सदस्य अपने PWTC या WTC का हस्तांतरण किसी अन्य को नहीं कर सकते हैं . वे केवल अपनी छूट का हस्तांतरण कर सकते हैं .

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(9) संपत्ति कर रिटर्न दर्ज करना

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(9.1) प्रत्येक संपत्ति मालिक, सिर्फ उन भारतीय नागरिकों को छोड़कर जिनके पास यहाँ बताई सामान्य छूटों से अधिक संपत्ति है, सभी विदेशी तत्व, सभी कंपनियाँ, सभी ट्रस्ट और सभी तत्व जो मालिक है या बन सकते है, को प्रत्येक वर्ष एक संपत्ति कर रिटर्न दर्ज करना जरुरी होगा. ऐसे तत्व जिनकी करयोग्य संपत्ति रु. 100 करोड़ से ऊपर होगी, उन्हें प्रत्येक महीने एक अंतरिम रिटर्न भरना होगा और मासिक रूप से कर चुकाना होगा और एक वार्षिक रिटर्न भी भरना होगा .

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(9.2) वार्षिक संपत्ति कर रिटर्न वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद 210 दिनों के अन्दर दर्ज होना चाहिए या आयकर रिटर्न भरने के 60 दिनों के अन्दर दर्ज होना चाहिए, इनमे से जो भी पहले होता है . मासिक रिटर्न महिना समाप्त होने के बाद 60 दिनों के अन्दर दर्ज हो जाना चाहिए.

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(9.3) कर जमाकर्ता उसका संपत्ति कर भरने के लिए उसका पैन-आई.डी. या आधार-आई.डी. का उपयोग कर सकता है . यदि उसके दोनों में से कोई भी आई.डी. नहीं है, इस कानून के राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद 3 महीनों के अन्दर उसे किसी एक आई.डी. को प्राप्त करना होगा .

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(9.4) हिन्दू अविभाजित परिवार के लिए, कर्ता को एक वार्षिक रिटर्न अलग से भरना जरुरी होगा . हिन्दू अविभाजित परिवार के पास कोई सामान्य छूट नहीं है और परिवार में सदस्यों से कोई छूट ले सकते हैं सिवाय जमीन और निर्माण के मामलों को छोड़कर . हिन्दू अविभाजित परिवार द्वारा अधिकृत एक जमीन और निर्माण के मामलें में, हिन्दू अविभाजित परिवार के सदस्य जमीन और निर्माण पर मिली अपनी सामान्य छूटों का शून्य या सम्पूर्ण लेकिन कुछ भाग नहीं, हिन्दू अविभाजित परिवार को हस्तांतरित कर सकते हैं .

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(10) NWTO: राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी, अन्य मुख्य अधिकारी और उनका स्टाफ, कार्यालय:-

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(10.1) प्रधानमंत्री संपत्ति कर इकठ्ठा करने हेतु “राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी(NWTO)” नामक एक अधिकारी नियुक्त करेंगे. भारत के नागरिक इसी ड्राफ्ट में दिए “राईट टू रिकॉल राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी” (RTR-NWTO) खंडो का प्रयोग करके इसे प्रतिस्थापित कर सकते हैं .

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(10.2) NWTO दिशानिर्देश तैयार करेगा और पूरे भारत में उसके कार्यालय चलाने हेतु कोष की मांग करेगा . ये दिशनिर्देश प्रधानमंत्री द्वारा इन्हें राजपत्र में प्रकाशित करने के बाद या सांसदों द्वारा इन्हें कानून के रूप में पारित करने के बाद या इसी ड्राफ्ट में दिए टी सी पी सेक्शन का प्रयोग करके नागरिकों के द्वारा इन्हें अनुमोदित करने के बाद प्रभाव में आएंगे .

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(10.3) NWTO केंद्र सरकार या राज्य सरकार से कार्यरत अधिकारीयों की भर्ती उनके निर्दिष्ट प्रमुखों की सहमति के बाद करेगा . NWTO एक राज्य संपत्ति कर अधिकारी (SWTO), प्रति जिला एक जिला संपत्ति कर अधिकारी (DWTO) और प्रति तहसील एक तहसील संपत्ति कर अधिकारी (TWTO) की नियुक्ति करेगा. ये सभी केंद्र सरकार के अधीन NWTO के अंतर्गत कार्य करेंगे.

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(11) संपत्ति कर नियम बनाने और बदलने के लिए दिशानिर्देश

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(11.1) संसद इस संपत्ति कर कानून को जरुरत होने पर संशोधित कर सकती है . जरुरत पड़ने पर प्रधानमंत्री भी राजपत्र अधिसूचना का प्रयोग करके इस कानून के अंतर्गत नए नियम बना सकते है और संशोधित भी कर सकते हैं .

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(11.2) NWTO जरुरत होने पर संपत्ति कर की गणना करने और इकठ्ठा करने के लिए सूचना-पत्र जारी कर सकता है.

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(11.3) जब प्रधानमंत्री या संसद या राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी कोई परिवर्तन या सूचना-पत्र जारी करते है, तब वह सूचना पूरे भारत में कार्यरत सभी जिला संपत्ति कर अधिकारीयों को भेजी जाएगी और जिला संपत्ति कर अधिकारी(DWTO) क्रमरहित विधि से 12 जूरी सदस्यों को बुलावा भेजेंगे . DWTO इस सूचना-पत्र का विवरण जूरी सदस्यों के समक्ष रखेगा और जूरी सदस्य इस सूचना-पत्र पर किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या अन्य व्यक्ति से अपने विचार रखने के लिए पूछ सकते हैं . और यदि पूरे भारत में अधिकतर जूरी सदस्य इस सूचनापत्र का विरोध करते हैं, तब सांसदों, प्रधानमंत्री या NWTO अपना पद त्याग सकते हैं या उन्हें ऐसा करने की जरुरत नहीं है और वे अमुक परिवर्तन या सूचना-पत्र को निरस्त कर सकते है या उन्हें ऐसा करने की जरुरत नहीं है. उनका निर्णय अंतिम माना जायेगा .

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(11.4) नागरिक इस ड्राफ्ट में दिए CV खंडो का उपयोग करके एक सूचना पत्र ज़ारी कर सकते हैं.

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(B) सामान्य परिभाषाएँ

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(B.1) इस ड्राफ्ट में “नागरिक” शब्द का आशय एक “व्यस्क पंजीकृत मतदाता” से है

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(B.2) इस ड्राफ्ट में “भूमि या जमीन” शब्द सभी प्लोटों, कृषि भूमि और फ्लैटो, कार्यालयों, भवनों, एक प्लाट पर निर्माण का अधिग्रहण करके किया स्वामित्व, शामिल करेगा . और इस ड्राफ्ट में शब्द “फ्लैट” सभी निर्माण -- भवनों, बंगले, कार्यालय, इमारतें, वेयरहाउस, औद्योगिक शेड और अन्य सभी निर्माण को शामिल करेगा .

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(B.3) टिप्पणी क्या है : टिप्पणियाँ इस कानूनी ड्राफ्ट का वास्तविक हिस्सा नहीं है . कार्यकर्ता और मतदाता टिप्पणियों का उपयोग ड्राफ्ट समझने के लिए कर सकते हैं और जूरी सदस्य किसी मामलें के निर्णय के लिए इन्हें संदर्भ के रूप में ले सकते हैं . किन्तु ये टिप्पणियाँ किसी पर भी बाध्यकारी नहीं है .

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(J) संपत्ति कर विवादों के लिए जूरी सुनवाई

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(J.1) जब भी कभी NWTO या उसके अधिकारी और करदाताओं के बीच कोई विवाद होता है, NWTO या उसके अधिकारी CCA यानि चार्टर्ड अकाउंटेंट की समिति का गठन करेंगे और मामलें की सुनवाई और निर्णय के लिए नागरिको की जूरी का गठन करेंगे . यह अनुछेद CCA और जूरी के गठन हेतु नियम बताएगा .

(J.2) NWTO प्रत्येक जिले के लिए एक जूरी प्रशासक नियुक्त करेगा जिसे जिला जूरी प्रशासक (DJA) कहा जायेगा और प्रत्येक राज्य के लिए एक जूरी प्रशासक नियुक्त करेगा जिसे राज्य जूरी प्रशासक (SJA) कहा जायेगा और एक जूरी प्रशासक भारत के लिए नियुक्त करेगा जिसे राष्ट्रीय जूरी प्रशासक (NJA) कहा जायेगा .

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(J.3) एक संपत्ति कर विवाद का निपटारा करना

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(J.3.1) एक करदाता और कर अधिकारी के बीच उत्पन्न कर विवाद उस जिले में दर्ज होगा जो इस क्रम में है -करदाता अमुक जिले में एक मतदाता है या रहवासी है या उसके पंजीकृत कार्यालय हैं . या उस जिले में होगा जहाँ संपत्ति स्थित है, ऐसे मामले में जिसमे संपत्ति भूमि या निर्माण है . यदि करदाता या कर अधिकारी सुनवाई का स्थान उसी राज्य के किसी अन्य जिले में बदलना चाहते हैं, तब वे राज्य जूरी प्रशासक या राज्य उच्च न्यायालय से आदेश प्राप्त कर सकते हैं और यदि दोनों में कोई भी एक पक्ष सुनवाई का स्थान राज्य के बाहर भारत के एक जिले में बदलना चाहता है, तब वे राष्ट्रीय जूरी प्रशासक या उच्चतम न्यायालय से आदेश प्राप्त कर सकते हैं .

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(J.3.2) जिले में प्रत्येक कर विवाद हेतु DJA, मामलें में सहायता करने की सहमति देने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंटस की सूची में से रैंडमली 3 से 10 चार्टर्ड अकाउंटेंटस का चयन करेगा . चयनित चार्टर्ड अकाउंटेंटस की आयु 30 वर्ष से 55 वर्ष के मध्य होनी चाहिए और उनके पास 5 वर्षों का कार्य अनुभव चार्टर्ड अकाउंटेंट के तौर पर होना चाहिए .

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(J.3.3) DJA भारत की मतदाता सूची से 30 वर्ष से 55 वर्ष के बीच की आयु के मतदाताओं को रैंडमली चुनेगा . उनमे से कोई भी व्यक्ति पिछले 10 वर्षों में जूरी में प्रस्तुत नहीं होना चाहिए और पूर्व में किसी अपराध के लिए सजा का सामना ना किया हो .

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(J.3.4) जूरी सदस्यों की संख्या : जूरी सदस्यों की संख्या न्यूनतम 12 होगी और अधिकतम 1500. यदि संपत्ति कर अधिकारी द्वारा संपत्ति कर चोरी या बचत का दावा रु. 10 लाख से कम है, तब जूरी सदस्यों की संख्या 12 होगी और प्रत्येक रु.10 लाख की संपत्ति कर अधिकारी द्वारा संपत्ति कर चोरी या बचत के दावे के लिए 1 अतिरिक्त जूरी सदस्य होगा . अधिकतम आकार 1500 जूरी सदस्य होगा .

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(J.3.5) जूरी सदस्यों का स्थान निर्धारण: जूरी सदस्य उन जिलों से चयनित होंगे जहाँ कि जिला अदालतें वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा मामले की सुनवाई चल रहे जिले से जुड़ी होंगी. यदि वांछित जिला वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा किसी अन्य जिले से नहीं जुड़ा है, तब सभी जूरी सदस्य उस जिले से होंगे जहाँ मामला दर्ज किया गया है .

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(J.3.6) संपत्ति के मूल्य निर्धारण के विवाद- यदि विवाद केवल जमीन के मूल्य निर्धारण पर है तब विवाद का निपटारा अमुक जिले के जूरी सदस्यों द्वारा होगा . जूरी सदस्यों की संख्या होगी 12+1 अतिरिक्त जूरी सदस्य प्रति मूल्य निर्धारण में रु.10 लाख का अंतर पर, अधिकतम 1500 जूरी सदस्यों के साथ. हालाँकि DWTO, SWTO या NWTO जमीन के मूल्य निर्धारण के लिए स्थान बदलने के लिए मांग कर सकते हैं.

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(J.3.7) जिला जूरी सदस्यों के फैसले के विरुद्ध याचिका राज्य के उच्च न्यायलय मे जूरी सदस्यों या न्यायाधीशों के समक्ष दर्ज की जा सकती हैं और बाद में उच्चतम न्यायलय मे जूरी सदस्यों या न्यायाधीशों के समक्ष दर्ज की जा सकती हैं, जैसा कि प्रचलित कानूनों के द्वारा निर्धारित होता है .

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(RTR) राईट टू रिकॉल NWTO

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(RTR.1) यदि कोई भारतीय नागरिक NWTO बनना चाहता है और वह व्यक्तिगत रूप से या एक वकील के माध्यम से शपथपत्र के साथ कैबिनेट सचिव के समक्ष प्रस्तुत होता है तब कैबिनेट सचिव उससे सांसद के चुनाव में जमा होने वाली राशी के बराबर का आवेदन शुल्क लेकर उसकी उम्मीदवारी NWTO के लिए स्वीकार करेगा .

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(RTR.2) कोई भी मतदाता पटवारी कार्यालय में 3 रू शुल्क देकर अधिकतम 5 उम्मीदवारों को NWTO पद के लिए अनुमोदित कर सकता है . पटवारी उसके अनुमोदनो को कंप्यूटर में डालेगा और उस व्यक्ति का मतदाता पहचान पत्र संख्या, समय / दिनांक और उसके द्वारा अनुमोदित व्यक्तियों के नामो को दर्ज करके एक रसीद देगा . . (RTR.3) पटवारी नागरिक द्वारा अनुमोदित व्यक्तियों के नाम प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर नागरिक के मतदाता पहचान पत्र संख्या के साथ रखेगा

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(RTR.4) यदि कोई मतदाता अपना अनुमोदन निरस्त करने आता है तो पटवारी उसके एक या अधिक अनुमोदन बिना कोई शुल्क लिए निरस्त कर देगा।

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(RTR.5) प्रत्येक महीने की 5वी तारीख पर, कैबिनेट सचिव प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अनुमोदनों की संख्या प्रकाशित कर सकता है जैसा कि पिछले महीने की अंतिम तारिख पर थी .

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(RTR.6) ) यदि किसी उम्मीदवार को भारत में सभी पंजीकृत मतदाताओं का 51% से अधिक अनुमोदन प्राप्त है (सभी, ना कि सिर्फ वे जिन्होंने अनुमोदन दर्ज किया है), तो प्रधानमंत्री पदासीन NWTO को पद से निष्काषित कर सकते हैं और सबसे अधिक अनुमोदन पाने वाले व्यक्ति को नए NWTO के रूप में नियुक्त कर सकते हैं, या उन्हें ऐसा करने की जरुरत नहीं है . प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम होगा .

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(RTR.7) प्रधानमन्त्री एक ऐसा सिस्टम बना सकते है जिससे नागरिक अपने अनुमोदन एस.एम.एस या एटीएम या मोबाइल फ़ोन एप्प के माध्यम से दर्ज / रद्द करवा सके .

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(CV) जनता की आवाज (Citizen’s Voice): . (CV.1) यदि देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने वाला कोई भी नागरिक मतदाता इस कानून की किसी धारा में बदलाव चाहता हो अथवा वह इस कानून से सम्बन्धित कोई शिकायत दर्ज करना चाहता हो तो ऐसा नागरिक मतदाता जिला कलेक्टर के कार्यालय में उपस्थित होकर एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है। जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क इस शपथपत्र को 30 रूपए प्रति पृष्ठ का शुल्क लेकर दर्ज करेगा तथा एक सीरियल नंबर जारी करके इस शपथपत्र को स्कैन करके अमुक मतदाता के छाया चित्र (फोटो) एवं अन्य विवरण के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर रखेगा। . (CV.2) किसी पटवारी कार्यालय के कार्यक्षेत्र में निवास करने वाला कोई भी नागरिक मतदाता यदि इस विधेयक अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा ऊपर दिए खण्ड (CV.1 ) के तहत प्रस्तुत किसी भी शपथपत्र पर अपनी हां / नहीं दर्ज कराना चाहता हो, तो वह अपना मतदाता पहचान पत्र लेकर तलाटी के कार्यालय में जाएगा और उपलब्ध आवेदन पर शपथपत्र का सीरियल नंबर दर्ज करके अपनी हाँ / नही दर्ज करेगा। पटवारी 3 रूपए का शुल्क लेकर इस हाँ / नहीं को दर्ज करके एक रसीद जारी करेगा । मतदाता द्वारा दर्ज की गयी हाँ / नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर मतदाता के नाम, मतदाता पहचान संख्या, दिनांक एवं अन्य विवरणों के साथ रखा जाएगा। हाँ / नही की गिनती प्रधानमंत्री या किसी अधिकारी या अन्य पर बाध्यकारी नहीं होगी | . ==========संपत्ति कर कानूनी ड्राफ्ट का समापन ====