एसपी, शिक्षा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, जिला जज को बदलने के लिए प्रस्तावित प्रक्रिया

# अधिकारी प्रक्रिया / निर्देश
01 कलेक्टर मुख्यमंत्री जिला कलेक्टर को आदेश देते है कि यह क़ानून गेजेट में छपने के 30 दिनों के भीतर प्रत्येक मतदाता को एक वोट वापसी पासबुक जारी करें, ताकि नागरिक पटवारी कार्यालय में जाकर अपने जिला पुलिस प्रमुख, जिला जज, जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी को बदलने के लिए हाँ / ना दर्ज कर सके।
02 सभी के लिए इस क़ानून में अभिभावक शब्द का अर्थ होगा 0 से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चो के लिए उसका पिता या उसकी माता, जो उस जिले का मतदाता भी हो। जब तक अभिभावको की सूची नहीं बनती, हर मतदाता जो 23 और 45 वर्ष के बीच में है, उसे इस राजपत्र अधिसूचना के लिए अभिभावक माना जायेगा। अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी की नौकरी चालू रखने या निकाल दिए जाने के लिए हाँ / ना दर्ज कर सकेंगे।
भाग – 1 : पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, जिला जज एवं जूरी प्रशासक के लिए आवेदन व योग्यताएं
03 कलेक्टर एवं समस्त नागरिक (3.1) यदि 30 वर्ष से अधिक आयु का कोई भारतीय नागरिक जो पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए किसी जिले में पुलिस प्रमुख नहीं रहा हो, तथा जिसने 5 वर्षों से अधिक समय तक सेना में काम किया हो, या पुलिस विभाग में एक भी दिन काम किया हो, या सरकारी कर्मचारी के रूप में 10 वर्षों तक काम किया हो अथवा उसने राज्‍य लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रशासनिक सेवाओ की लिखित परीक्षा पास की हो, अथवा उसने विधायक या सांसद या पार्षद या जिला पंचायत के सदस्‍य का चुनाव जीता हो, तो ऐसा व्यक्ति जिला पुलिस प्रमुख के उम्‍मीदवार के रूप में अपना आवेदन कर सकेगा। (3.2) 30 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक जिसे ऐलोपेथी, आयुर्वेद, होम्योपेथ, यूनानी या भारत सरकार द्वारा स्वीकार की गयी इसके समकक्ष किसी अन्य चिकित्सा विज्ञान का मान्यता प्राप्त चिकित्सक होने के लिए आवश्यक जैसे MBBS, BAMS या इसके समकक्ष डिग्री प्राप्त किये हुए 5 वर्ष पूर्ण हो चुके हो, तो वह जिला चिकित्सा अधिकारी की उम्मीदवारी के लिए आवेदन कर सकेगा। (3.3) भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो एवं उसे LLB की शिक्षा पूर्ण किये हुए 5 वर्ष हो चुके हो तो वह जिला जज पद का उम्मीदवार होने के लिए आवेदन कर सकेगा। (3.4) भारत का कोई भी नागरिक जिसकी आयु 30 वर्ष से अधिक हो तो वह जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला न्यायवादी ( जूरी प्रशासक ) पद का उम्मीदवार होने के लिए आवेदन कर सकेगा।
04 कलेक्टर धारा 3 में दी गयी योग्यता धारण वाला कोई भी नागरिक यदि जिला कलेक्टर के सामने स्वयं या किसी वकील के माध्यम से ऐफिडेविट प्रस्तुत करता है, तो जिला कलेक्टर सांसद के चुनाव में जमा की जाने वाली राशि के बराबर शुल्क‍ लेकर अर्हित पद के लिए उसका आवेदन स्वीकार कर लेगा, तथा उसे एक सीरियल नम्बर जारी करेगा।
भाग – 2 : मतदाता द्वारा उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए हाँ / ना दर्ज करना
05 पटवारी एवं कलेक्टर (5.1) कोई भी नागरिक किसी भी दिन अपनी वोट वापसी पासबुक के साथ पटवारी कार्यालय में जाकर पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, जिला जज, जूरी प्रशासक के उम्मीदवारों के समर्थन में हाँ / ना दर्ज करवा सकेगा। पटवारी अपने कम्प्यूटर में मतदाता की हाँ / ना को दर्ज करेगा। पटवारी मतदाता की वोट वापसी पास बुक में भी हाँ / ना दर्ज करने की तारीख एवं उम्मीदवारों के नाम की एंट्री करेगा। पटवारी मतदाताओं की हाँ / ना को उम्मीदवारो के नाम एवं मतदाता की पहचान-पत्र संख्या के साथ जिले की वेबसाईट पर भी रखेगा। मतदाता किसी पद के उम्मीदवारों में से अपनी पसंद के अधिकतम 5 व्यक्तियों को स्वीकृत कर सकता है। (5.2) मुख्यमंत्री के आदेश से कलेक्टर ऐसा सिस्टम बना सकते है कि मतदाता हाँ / ना अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से SMS भेजकर दर्ज करवा सके।
06 पटवारी स्वीकृति / हाँ दर्ज करने के लिए मतदाता 3 रूपये फ़ीस देगा। BPL कार्ड धारक के लिए फ़ीस 1 रुपया होगी
07 पटवारी यदि कोई मतदाता अपनी स्वीकृती रद्द करवाने आता है तो पटवारी एक या अधिक नामों को बिना कोई फ़ीस लिए रद्द कर देगा ।
08 कलेक्टर प्रत्‍येक महीने की 5 तारीख को, कलेक्‍टर या उसके द्वारा नियुक्‍त अधिकारी पिछले महीने के अंतिम दिन तक प्राप्त प्रत्‍येक उम्‍मीदवार को मिली स्वीकृतियों ( हाँ / ना ) की गिनती प्रकाशित करेगा ।
भाग – 3 : पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी एवं जूरी प्रशासक की नियुक्ति एवं निष्कासन
09 मुख्यमंत्री (9.1) यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं ( सभी मतदाता, न कि केवल वे जिन्होंने स्वीकृति दर्ज की है ) के 50% से अधिक मतदाता पुलिस प्रमुख या शिक्षा अधिकारी के किसी उम्मीदवार के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है तो मुख्यमंत्री इस्तीफा दे सकते है, या सबसे अधिक स्वीकृति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उस जिले में अगले 4 वर्ष के लिए नया जिला पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकते है। इस बारे में मुख्यमंत्री का फैसला अंतिम होगा। (9.2) यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक मतदाता जिला चिकित्सा अधिकारी, जिला जज, जिला जूरी प्रशासक के किसी उम्मीदवार के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है तो मुख्यमंत्री उसकी नियुक्ति कर सकते है। (9.3) यदि जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी अभिभावकों के 35% से अधिक अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी के किसी उम्मीदवार के पक्ष में हाँ दर्ज कर देते है तो मुख्यमंत्री उसकी नियुक्ति कर सकते है।
भाग – 4 : जिला पुलिस प्रमुख के लिए गुप्त मतदान की अतिरिक्त प्रक्रिया एवं कार्यकाल
10 राज्य चुनाव आयुक्त मुख्यमंत्री एवं राज्य के सभी मतदाता राज्य चुनाव आयुक्त से विनती करते है कि, जब भी जिले में कोई आम चुनाव, जिला पंचायत चुनाव, ग्राम पंचायत चुनाव, तहसील पंचायत चुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव, सांसद का चुनाव, विधायक का चुनाव या अन्य कोई भी चुनाव करवाया जाएगा तो इन चुनावों के साथ राज्य चुनाव आयुक्त एस.पी. के चुनाव के लिए भी मतदान कक्ष में एक अलग से मतपत्र पेटी रखेगा, ताकि जिले के मतदाता यह तय कर सके कि वे मौजूदा एस.पी. की नौकरी चालू रखना चाहते है या किसी अन्य व्यक्ति को एस.पी. की नौकरी देना चाहते है।
11 मुख्यमंत्री यदि कोई उम्मीदवार जिले की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं (सभी, न कि केवल वे जिन्होंने वोट किया है ) के 50% से अधिक मत प्राप्त कर लेता है तो मुख्यमंत्री त्यागपत्र दे सकते है, या 50% से अधिक मत प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उस जिले में अगले 4 वर्ष के लिए जिला पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकते है।
12 मुख्यमंत्री यदि कोई व्‍यक्‍ति पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए पुलिस प्रमुख रह चुका हो तो मुख्‍यमंत्री उसे अगले 600 दिनों के लिए जिला पुलिस प्रमुख के पद पर रहने की अनुमति नहीं देंगे । किन्तु यदि पुलिस प्रमुख गुप्त मतदान की प्रक्रिया में जिले के 51% मत प्राप्त कर लेता है तो मुख्यमंत्री उसे पद पर बनाए रख सकते है।
13 मुख्यमंत्री एवं समस्त नागरिक विशिष्ट परिस्थितियों में राज्‍य की मतदाता सूची में दर्ज सभी मतदाताओं के 51 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं की स्पष्ट स्वीकृति लेकर मुख्‍यमंत्री किसी जिले में पुलिस प्रमुख को नागरिको द्वारा अनुमोदित करने की इस प्रक्रिया को 4 वर्षों के लिए हटाकर अपने विवेकाधिकार से उस जिले में नया जिला पुलिस प्रमुख नियुक्‍त कर सकते है। किन्तु मुख्यमंत्री जिला शिक्षा अधिकारी, जिला जज एवं जिला चिकित्सा अधिकारी को स्वीकृत करने की प्रक्रियाए तब भी जारी रख सकते है
14 मुख्यमंत्री मतदाताओ या अभिभावकों की स्वीकृति से नियुक्त हुआ शिक्षा अधिकारी एक से अधिक जिलो का भी शिक्षा अधिकारी बन सकता है। वह किसी राज्य में अधिक से अधिक 5 जिलों का, और भारत भर में अधिक से अधिक 20 जिलों का शिक्षा अधिकारी बन सकता है। कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में किसी जिले का शिक्षा अधिकारी 8 वर्षों से अधिक समय के लिए नहीं रह सकता है। यदि वह एक से अधिक जिलो का शिक्षा अधिकारी है तो उसे उन सभी जिलों के शिक्षा अधिकारी के पद का वेतन, भत्ता, बोनस आदि मिलेगा।
भाग – 5 : पुलिस, शिक्षा, न्यायालय एवं चिकित्सा विभाग के मामलो का नागरिको की जूरी द्वारा निपटान
# टिप्पणी मुख्यमंत्री जूरी मंडल के गठन एवं संचालन के लिए आवश्यक विस्तृत प्रक्रियाएं गेजेट में प्रकाशित करेंगे, जिन्हें इस क़ानून में जोड़ा जायेगा। मुख्यमंत्री के अलावा कोई अन्य मतदाता भी इसी क़ानून के भाग 6 की धारा 20 का प्रयोग करते हुए ऐसी आवश्यक प्रक्रियाएं जोड़ने का शपथपत्र दे सकता है।
15 समस्त नागरिक यदि आपका नाम वोटर लिस्ट में है तो इस कानून के पारित होने पर आपको जूरी ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है। जूरी ड्यूटी में आपको आरोपी, पीड़ित, गवाहों और दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत तथ्य देखकर बहस सुननी होगी और सजा / जुर्माना या रिहाई तय करनी होगी।
16 जूरी प्रशासक जूरी प्रशासक जिले की मतदाता सूची में से 30 सदस्यीय महाजूरी मंडल की नियुक्ति करेगा। इनमे से हर 10 दिन में 10 सदस्य सेवानिवृत होंगे और नए 10 सदस्यो का चयन मतदाता सूची में से लोटरी द्वारा कर लिया जाएगा। यह महा जूरी मंडल निरंतर काम करता रहेगा। महा जूरी सदस्य को प्रति उपस्थिति 500 रू एवं यात्रा व्यय मिलेगा।
17 समस्त नागरिक यदि पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी, जिला जज, चिकित्सा अधिकारी या उनके स्टाफ से सम्बंधित कोई भी मामला है तो वादी अपने मामले की शिकायत महा जूरी मंडल के सदस्यों को लिख कर दे सकते है। यदि महा जूरी मंडल मामले को निराधार पाते है तो शिकायत खारिज कर सकते है, अथवा इस मामले की सुनवाई के लिए एक नए जूरी मंडल के गठन का आदेश दे सकते है।
18 जूरी प्रशासक मामले की जटिलता एवं आरोपी की हैसियत के अनुसार महा जूरी मंडल तय करेगा कि 15-1500 के बीच में कितने सदस्यों की जूरी बुलाई जानी चाहिए। तब जूरी प्रशासक मतदाता सूची से लोटरी द्वारा सदस्यों का चयन करते हुए जूरी मंडल का गठन करेगा और मामला इन्हें सौंप देगा।
19 जूरी प्रशासक यह जूरी मंडल दोनों पक्षों, गवाहों आदि को सुनकर इस मामले में फैसला देगा। प्रत्येक जूरी सदस्य अपना फैसला बंद लिफ़ाफ़े में लिखकर ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर को देंगे। दो तिहाई सदस्यों द्वारा मंजूर किये गये निर्णय को जूरी का फैसला माना जाएगा। किन्तु मृत्यु दंड में 75% सदस्यों के अनुमोदन की जरूरत होगी। प्रत्येक मामले की सुनवाई के लिए अलग से जूरी मंडल होगा। पक्षकार चाहे तो जूरी मंडल के फैसले की अपील उच्च जूरी मंडल में कर सकते है।
भाग – 6 : जनता की आवाज
20 सभी के लिए यदि कोई मतदाता इस कानून में कोई परिवर्तन चाहता है तो वह कलेक्‍टर कार्यालय में एक एफिडेविट जमा करवा सकेगा। जिला कलेक्टर 20 रूपए प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर एफिडेविट को मतदाता के वोटर आई.डी नंबर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करके रखेगा।
21 सभी के लिए यदि कोई मतदाता धारा 20 के तहत प्रस्‍तुत किसी एफिडेविट पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी कार्यालय में 3 रूपए का शुल्‍क देकर अपनी हां / ना दर्ज करवा सकता है। पटवारी इसे दर्ज करेगा और हाँ / ना को मतदाता के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा।